किराए की कोख लेना अब नहीं होगा आसान

किराए की कोख लेना अब नहीं होगा आसान

सेहतराग टीम

नि:संतान दंपतियों द्वारा किसी दूसरे की कोख किराए पर लेकर बच्‍चे को जन्‍म देने के मामलों में होने वाली अनियमितताओं और महिलाओं के शोषण पर रोक लगाने के लिए सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया के नियमन की दिशा में कदम उठा दिया है। केंद्र सरकार ने लोकसभा में सोमवार को सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019 पेश किया जिसमें देश में व्यावसायिक मकसद से किराये की कोख (सरोगेसी) पर रोक लगाने, सरोगेसी पद्धति का दुरुपयोग रोकने और नि:संतान दंपतियों को संतान का सुख दिलाना सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने निचले सदन में विधेयक पेश किया। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षो में भारत विभिन्न देशों के दंपतियों के लिए किराए की कोख के केंद्र के रूप में उभर कर आया है। अनैतिक व्यवहार, सरोगेट माताओं के शोषण, सरोगेसी से उत्पन्न बालकों के परित्याग और मानव भ्रूणों और युग्मकों के आयात की कई घटनाएं सामने आईं हैं। पिछले कुछ वर्षो में विभिन्न प्रिंट और इलेक्ट्रानिक संचार माध्यमों में भारत में वाणिज्यिक सरोगेसी की व्यापक भर्त्सना भी हुई है।

भारत के विधि आयोग ने अपनी 228वीं रिपोर्ट में उपयुक्त कानून के जरिये वाणिज्यिक सरोगेसी पर रोक लगाने की सिफारिश की है। सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019 में अन्य बातों के साथ-साथ राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सरोगेसी बोर्डो के गठन की बात कही गई है। इसमें 23 से 50 वर्ष तथा 26 से 55 वर्ष के क्रमश: महिला और पुरुष अनुर्वर (संतान पैदा करने में अक्षम) भारतीय दंपति को नैतिक सरोगेसी का अवसर देने की बात भी कही गई है।

हालांकि सरोगेसी के जरिये बच्‍चे की आस रखने वाले दंपति कम से कम पांच वर्ष से विधिपूर्वक विवाहित होने चाहिए और सरोगेसी या सरोगेसी प्रक्रियाओं को करने के लिए उन्‍हें भारत का नागरिक होना चाहिए। विदेश‍ियों को भारत में सरोगेसी का अवसर नहीं मिलेगी।
इसके अलावा सरोगेट माता को संबंधित दंपति की निकट नातेदार होना चाहिए और वह पहले से विवाहित होनी चाहिए जिसका स्वयं का बच्‍चा भी हो।

इसमें उपबंध किया गया है कि कोई व्यक्ति, संगठन, सरोगेसी क्लिनिक, प्रयोगशाला या किसी भी किस्म का नैदानिक प्रतिष्ठापन वाणिज्यिक सरोगेसी के संबंध में विज्ञापन, वाणिज्यिक सरोगेसी के माध्यम से उत्पन्न बालक का परित्याग, सरोगेट माता का शोषण, मानव भ्रूण का विक्रय या सरोगेसी के मकसद से मानव भ्रूण का निर्यात नहीं करेगा।

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